Whatsapp & Facebook Joke

व्हाट्सएप्प चुटकले , फेसबुक चुटकले , सोशल मीडिया चुटकले , राजनितिक चुटकले ,पति पत्नी चुटकले ,अध्यापक छात्र चुटकले

Follow us

LightBlog
LightBlog

Wednesday 14 September 2016

Extra चुटकले

चाणक्य के चुटकले 

ये जो कुल्फी खाते हुये

एक हंथेली कुल्फी के नीचे लगाये रहते हो ना...

इसे ही गीता में श्रीकृष्ण ने मोह बताया है.



Or
और कुल्फी खतम होने के बाद भी जो डण्डी चाटते ही रहते हो ना....
इसे ही गीता में श्रीकृष्ण ने लोभ कहा है

और डण्डी फेकने के बाद , सामने वाले की कुल्फी देखकर सोचना कि उसकी खत्म क्यों नहीं हुई,
इसे गीता मे ईष्या कहा गया है,
Or
और कुल्फी खतम होने से पहले डऩ्डी से नीचे गिर जाये और केवल डण्डी हाथ मे रह जाये तब तुम्हारे मन में जो आता है....
इसे ही गीता मे क्रोध कहा है
Or
और इसे पढ़कर जो हंसी आती है ना उसे मोक्ष कहते है.
Or
ये जो तुम Whatsapp मेसेज़ भेजने के बाद
बार बार दो नीली धारियाँ चेक करते हो ना ...
इसे ही शास्त्रों में 'उतावलापन' कहा गया है...
Or
ये घरवाले जो जगाने के लिए सुबह-सुबह कूलर-पंखा बंद कर देते है,
शास्त्रों में इसे ही छल कपट कहा गया है
Or
फ्रूटी खत्म होने के बाद 
ये जो आप स्ट्रा से सुड़प-सुड़प करके आखिरी बून्द तक पीने की कोशिश करते हो न....
शास्त्रो में इसे ही मृगतृष्णा कहा गया है
Or
ये जो तुम लोग केले खरीदते वक्त, अंगूर क्या भाव दिये ? 
बोल के 5-7 अंगूर खा जाते हो ना 
शास्त्रो में इसे ही "अक्षम्य अपराध" कहा गया है।
Or
और ताला लगाने के बाद उसे पकड़ कर खींचते हो ना......
इसे ही शास्त्रों में 'भय' कहा गया है
और यह सब चाणक्य के ताऊ के बेटे के भतीजे ने लिखा था 

​भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जंहा बच्चे बोर्नविटा से महिलाए फेअर एण्ड लवली से और पुरुष रजनीगन्धा से कामयाब होते है ​बाकी डिग्री-विग्री सब भ्रम है

​टीचर क्लास में पढ़ा रही थी बच्चों आज मैं तुमको अंग्रेजी सिखाऊंगी टीचर - पप्पू तू खड़ा हो जा पप्पू - जी मैडम टीचर - बता "राम मुझे प्यार नहीं करता है" इसको इंग्लिश में सेंटेंस बनाओ पप्पू - राम पागल है एक बार हमें मौका दो

​पंद्रह बीस साधू संत हिमालय का पहाड़ चढ़ रहे थे। एक रिपोर्टर ने यूँ ही पूछ लिया “बाबा आप लोग कहाँ जा रहे हो?” बाबा: “समाधि लेने” रिपोर्टर “पर क्यों ?” बाबा : “जबसे whatsapp आया है बड़े बड़े ज्ञानी पैदा हो गये है…. अब संसार को हमारी जरूरत ही नहीं”

​ पत्नि की बातें और पंडित जी की कथा एक समान होती हैं। समझ भले कुछ भी ना आये पर गौर से सुनने का नाटक जरूर करना पड़ता है।

Adbox